कोरोना: देश में मृत्यु की दर 3.3 फीसदी, सबसे अधिक 75 फीसदी मौत बुजुर्गों की

कोरोना: देश में मृत्यु की दर 3.3 फीसदी, सबसे अधिक 75 फीसदी मौत बुजुर्गों की


नई दिल्ली। 
देश में कोरोना वायरस का प्रकोप फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। अबतक 14378 मामले सामने आ चुके हैं और 480 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 1992 मरीज ठीक हो चुके हैं। आज स्वास्थ्य मंत्रालय, गृह मंत्रालय और आईसीएमआर की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में इससे जुड़े नए डाटा और जानकारियां लोगों के सामने रखी गईं। 


स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि कोरोना के कारण देश में मृत्यु की दर 3.3 फीसदी है और सबसे अधिक 75 फीसदी मौत बुजुर्गों की हुई है।   


गृह मंत्रालय ने कहा
इस दौरान गृह मंत्रालय की प्रवक्ता ने बताया कि कोरोना संकट के चलते भारत में फंसे विदेशियों की वीजा अवधि बढ़ाई जाएगी।


बिना शुल्क वीजा अवधि बढ़ाई जाएगी। 


फंसे विदेशी तीन मई तक आवेदन कर सकते हैं। 
किसी भी तरह की मदद के लिए 112 पर कॉल कर सकते हैं। 


स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा
कुल 1992 कोरोना संक्रमित मरीज अबतक ठीक हो चुके हैंं। 
24 घंटे में 991 मामले सामने आए हैं।


पिछले 24 घंटे में 43 लोगों की मौत। 


12 राज्यों में 22 जिलों से कोई केस सामने नहीं आया है। 
तीन नए जिलों में कोरोना के मामले मिले हैं।


75 फीसदी मौत बुजुर्गों की, 45-60 आयु वर्ग में 10.3 फीसदी मौत, 0-45 आयु वर्ग में 14 फीसदी मौत।  


60-75 आयु वर्ग में मौत 33.1 फीसदी मौत, 75 से अधिक आयु वर्ग में 42.2 फीसदी मौत।
कोरोना वायरस से देश में मौत की दर 3.3 फीसदी।


दिल्ली में तब्लीगी जमात से जुड़े हैं 63 फीसदी केस। दिल्ली, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश में जमात के ज्यादा केस।


देश में 29.8 फीसदी केस जमात से जुड़े हुए। 


23 राज्यों में मरकज से जुड़े लोग संक्रमित हैं। 


आईएसीएमआर ने नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया। 
बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को आपातकालीन सेवाएं दी जा रही हैं। 


रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट हॉटस्पॉट इलाकों में ही कराए जाएं। 
सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें। कोरोना से लड़ाई सरकार और लोगों को साथ मिलकर लड़नी होगी। इसमें सभी का सहयोग चाहिए। हम इस लड़ाई को जीतकर दुनिया के सामने एक उदाहरण रखें।    
 
आईसीएमआर ने कहा
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की स्डटी ऑब्जरवेशनल यानी कोहर्ट है। कोई ट्रायल नहीं कर रहे हैं। क्योंकि ट्रायल के लिए बेस नहीं है। इसमें करीब 480 मरीज शामिल होंगे और ये आठ हफ्ते चलेगा। लॉकडाउन का समय है इसलिए ज्यादा वक्त लग सकता है। 


ये समझते हुए हमने दूसरी स्टडी लांच की जिसमें कुछ स्वास्थ्यकर्मियों ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन लेना शुरू कर दिया। इसमें भी साइड इफेक्ट देखने के लिए एक स्टडी लांच की गई। 


35 साल की उम्र के लोगों की स्टडी में पता चला कि इनमें सबसे कॉमन लक्षण था पेट संबंधी दर्द (एब्डोमिनल पेन)। 10 फीसदी लोगों को पेट संबंधी दर्द हुआ। 6 फीसदी लोगों में उल्टी आने जैसी शिकायत हुई। बाकी लक्षण कम अनुपात में थे। 
इन स्वास्थ्यकर्मियों में से 22 फीसदी को डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और सांस से जुड़ी बीमारी थी। 14 फीसदी लोगों ने खुद का ईसीजी भी नहीं निकाला था। ध्यान देने की जरूरत है कि स्वास्थ्यकर्मी विभिन्न साइटों से दवाएं ले रहे हैं। उसका असर स्टडी पर होता है। इसलिए हमें होमोजीनस पॉपुलेशन मिलने में दिक्कत आ रही है जिसकी इसमें खास जरूरत है।